सफ़र की तैयारी :-जैसे ही घंटे की सुई 3 पर जाती है,टीम के लीडर अचानक बैठ जाते हैं और फिर जोर से कहते हैं – “गाँधी जी का यहीं था कहना|” तुरंत ही नींद से बोझिल पलकों को मलते हुए 10 लोगों की प्रतिध्वनियाँ आती है- ‘’अनपढ़ बनकर कभी न रहना |” लोगों को जागने और तैयार होने का कोई संकेत मिल गया हो | जैसे रेल को हरी झंडी का सिग्नल मिल गया हो |सभी लोग फटाफट तैयार होने लगे |
सभी अपने बिस्तर को समेटना शुरू कर दिए |विश्राम स्थान था –उच्च विद्यालय मेहसी,पूर्वी चम्पारण | तबतक चिड़ियों के घोंसलों में भी शोर-गुल शुरू हो जाता है | पूरब में भी लालिमा का असर अब दिखना शुरू हो जाता है | शायद कारवाँ को अपने गंतव्य के तरफ़ कूच करने का सही वक्त आ गया | अपनी-अपनी मच्छरदानी,चादर और दरी को समेटकर लोग तैयार हो जाते हैं मिशन पर जाने के लिए | शिक्षा के महान प्रहरी और प्रचारक (11सदस्यीय टीम ) पूर्वाहन 4:25 बजे गैस की रौशनी में निकल पड़ते हैं अपनी मंजिल की तरफ़ |
स्वास्थ्य परीक्षण :- 8 दिनों तक तीखे धूप और भीषण गर्मी में रोज लगभग 20 किमी तक पैदल चलने के बाद आज टीम के सभी सदस्यों
का स्वास्थ्य परीक्षण जननायक कर्पूरी ठाकुर पुस्तकालय, चकिया के प्रांगन में करीब 7:30 बजे स्थानीय डॉक्टर के द्वारा हुआ | सचमुच अगर ईरादे नेक हों तो लोगों का आशीर्वाद सीधे अल्लाह के दरवाजे तक पहुँचती है | स्वास्थ्य परीक्षण में सभी की स्थिति सामान्य पाई गई | स्वास्थ्य परीक्षण उपरांत दुगने जोश के साथ कारवाँ आगे बढ़ गया |
मतवाले राही :- कारवाँ अपनी मंजिल की तरफ़ गुजरता जा रहा था तभी रास्ते में कुछ बच्चे ट्यूशन जाते हुए मिल गए | फिर हमारे लोगों ने अपने कमीज पर लिखे हुए टेक्स्ट को पढ़वाना शुरू कर दिए | देखते ही देखते लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी | लोग अपने-अपने बच्चों को पकड़कर लाने लगे |सभी को मूल्यांकन करने के तरीकों और पढ़ाने की विधियों से अवगत कराया गया |फिर लोगों को इस पर आगे काम करने के लिए संकल्प भी दिलाया गया |
कुष्ठ आश्रम का दीपक :- पिपरा प्रखंड के रास्ते में एक साईकिल सवार मैट्रिक पास युवक से मुलकात होती है | यह लड़का जमुई के सिमितुला आवासीय विद्यालय से इस बार मैट्रिक पास किया था | पदयात्रा के उद्देश्यों को जानकर वह आग्रह करके पूरी टीम को एक मुहल्ले में ले गया | वहाँ पर केवल कुष्ठ रोगी (Leprosy) थे |उनके बच्चे भी साथ में थे | | यहाँ पर रहनेवाले लगभग 30 लोगों को कुष्ठ की कोई न कोई बीमारी थी | बातचीत करने के बाद पता चला कि इनके बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं |स्कूल से भगा दिया जाता है | समाज के लोगों का मानना है कि अगर स्कूल जायेंगे तो और लोगों को बीमारी हो जाएगी | लोगों में भ्रम कि इनके द्वारा सतुआ खाने-और खिलाने से ये रोग फैलता है | यह लड़का समय निकालकर इन बच्चों को पढ़ाने आता है | इसके लिए उसके घरवाले मना भी करते हैं मगर इन्सान की सेवा भावना के वशीभूत नि:शुल्क पढ़ाने आता है | हमारी टीम के कार्यों को देखकर वह अंदाजा लगाकर कहा कि “लगभग 1,00000 (एक लाख) लोगों में से लगभग 99,999 लोग ऐसा नहीं सोचते हैं और करते हैं | आपसे हमें आज और प्रेरणा मिली है | मैं निरंतर समय निकालकर शिक्षा दान करता रहूँगा |” फिर उसको मूल्यांकन के तरीकों और गतिविधियों से भी अवगत कराया गया |
मैट्रिक फेल लड़कियों का दर्द :- ग्राम गौरे के स्कूल में लगभग 11 बजे पंचायती राज के प्रतिनिधियों के साथ और स्कूल के शिक्षकों के साथ बैठक होती है | बैठक के बाद गाँव में भ्रमण के दौरान मैट्रिक फेल लड़कियों से उनकी दिनचर्या के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की गई | उन लड़कियों का मानना था कि मैट्रिक में फेल के बाद अब लगता है कि वे जिन्दगी से फेल हो गई है |आगे बस अँधेरा ही अँधेरा नज़र आता है |फेल हुए लड़कों को तो दुबारा मौका मिल जाता है मगर हमें परिवारवाले मौका नहीं देते हैं |अब आगे क्या करना है उसको लेकर बच्चियों में या उनके अभिभावकों में कोई विचार या प्लान नहीं था | हाँ आगे शादी करनी है यह बात अभिभावकों ने ज़रूर बताई | मूल्यांकन करने और बातचीत करने के बाद ये बात ज़रूर निकलकर आई कि बुनियाद मजबूत नहीं होने के कारण अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाया | लोगों ने स्वीकार किया कि बुनियाद मजबूत पहले करनी होगी तभी आगे महल खड़ा हो सकता है |
जीविका एक आशा :- आज भी जीविका समूह के महिलाओं के साथ अपराहन 2:00 -5:00 बजे के बीच दो गाँवो में उत्साहवर्धक बैठक और सकारात्मक बातचीत हुई |पदयात्रा टीम के लोग दो ग्रुप में बंटकर दो गावों में जाकर मीटिंग कर रहे थे | इसमें जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक के जीविका के अधिकारी मौजूद थे | अच्छे कामों में हाथ बटाने वाले लोग मिल ही जाते हैं | इस बैठक में भी ऐसी महिलाएँ/लडकियाँ निकलकर सामने आयीं जो हमारे मैटिरियल और गतिविधियों से बच्चों के साथ आगे करने को भी तैयार हुई | इस गाँव में साइंस की गतिविधियों को भी किया गया | बच्चे साइंस की गतिविधियों में बहुत रूचि ले रहे थे |
आत्मकथा का वाचन :- गाँधीत्व को गहराई से समझने के लिए टीम के सदस्य प्रतिदिन गाँधी की आत्मकथा –“मेरे सत्य का प्रयोग” किताब का सामूहिक वाचन करते हैं | आज 8वें दिन तक इसके 165 पेजों को पढ़ा जा चुका है |
कुल दूरी :- आज पूर्वी चम्पारण के मेहसी,पिपरा और चकिया प्रखंडों के विभिन्न गाँवों और कस्बों की यात्रा करते हुए कारवाँ द्वारा 36 किमी (इस पदयात्रा की अबतक की सबसे लम्बी दूरी ) की दूरी तय की जाती है |
सारांश :- आज दिनभर के सफ़र और गतिविधियों के बाद निम्नलिखित चीजें निकल कर आईं ----
v भविष्य में इस काम के लिए जीविका को आशा भरी निगाहों से देखा जा सकता है |
v स्कूल की समस्या सम्बंधी लम्बी सूची शिक्षकों और लोगों के पास है मगर उपाय पर कोई बात नहीं करता है |
v लोगों का सरकारी स्कूलों से मोह-माया खत्म होता जा रहा है और और ट्यूशन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं पर स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है |
v अभिभावकों के उदासीन रवैये के चलते स्कूल टाईम में भी बहुत सारे बच्चे गाँवों में घुमते हुए मिले |
v एक ही जगह पर दो प्रकार के स्कूलों का दर्शन हुआ जो हमें इण्डिया और भारत के अंतर को बताता है और बीच में हम लोग दिखाई पड़ते हैं | प्राइवेट स्कूल चमचमाता हुआ था और बच्चों से भरा-पूरा था वहीँ सरकारी स्कूल में बहुत ही कम बच्चे दिखे | इन दोनों स्कूलों के बीच प्रथम शिक्षाग्रह का कारवाँ गाँधी के सपनों को साकर करने निमित आगे बढ़ता जा रहा था |
v आज भी लडके-लड़कियों की पढाई में भारी असमानता है | लड़कियों के फेल होने के बाद आगे के लिए रस्ते बंद होने जैसा है |
v मैट्रिक में फेल होने के मुख्य कारणों में बुनियादी शिक्षा की कमी निकलकर सामने आई |
v आज भी समाज में बहुत सारा भ्रम फैला हुआ है | जैसे कुष्ठ रोगी के बच्चों से बीमारी फैलने का |
v आज भी एक-दो युवा साथी हमारे जैसे सोचने और करने वाले धूमकेतु की तरह कभी कभी दिख जाते हैं | आज कुष्ठ बस्ती में मैट्रिक पास युवक से जो मुलकात हुई थी वह समाज की बातों को परवाह किये बिना शिक्षा का अलख जगा रहा था |
v पदयात्रा के दरम्यान समाज को आगे ले जाने के बहुत सारे रास्ते दिख रहे हैं मगर इतना ही काफी नही है | अन्य लोगों को कुछ और भी करना होगा |
विश्राम स्थल : दिनभर शिक्षा का अलख जगाते हुए लोगों के साथ-गतिविधियाँ करते हुए शाम ढलने के काफी देर बाद सड़क किनारे लगे हरे-भरे पेड़-पौधों से आक्सीजन लेते हुए लगभग रात 8:30 बजे कारवाँ आज के विश्राम स्थल खैरिमल पंचायत के मुखिया जी के घर (प्रखंड,चकिया,मोतिहारी) पहुँचता है | यह पंचायत आदर्श सांसद ग्राम पंचायत है जो हमारे देश के कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह का संसदीय क्षेत्र है | पेड़ों पर बसेरा करने वाले विहंग भी दूर-दराज से दाना-पानी लेकर अपने परिवार के साथ अपने-अपने घोंसलों में आश्रय ले चुके थे |
मगर इन शिक्षा के मतवालों का यहाँ पर अपना परिवार है कहाँ ? हाँ हैं न! दिनभर जो अलग-अलग लोगों/बच्चों से मुलकात होती है | इनके लिए तो सारे बच्चे और उनका परवार ही अपना है | शिक्षाग्रह पदयात्रा के लिए तो बस सारी धरती ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ है | शिक्षाग्रह के वीर पथिक अपनी-अपनी मच्छरदानी को रस्सी के सहारे एक-दूसरे से बाँधते हैं और धरती को ही चादर और बिस्तर बनाकर चाँद और जुगुनुओं की रौशनी में सो जाते हैं | जैसे तपती धरती को बरसात का बेसब्री से इंतज़ार रहता है उसकी प्रकार निद्रा रानी को भी इन कारवाँ का बेसब्री से इंतज़ार रहता है |बिस्तर पर गिरते हैं निद्रा रानी इन्हे कसकर अपने आगोश में ले लेती है और एक सुन्दर और खुशहाल समाज के मीठे-मीठे सपने दिखाना शुरू कर देती है | कोई भी इन लोगों के सुप्तावस्था के चेहरों को देखकर आत्मसंतुष्टि,सुकून और विजय के भाव को एहसास कर सकता है |
- शैलेंद्र सिंह, बिहार
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